कक्षा 10 हिंदी (क्षितिज भाग 2) के अध्याय 1 में सूरदास द्वारा रचित "सूरदास के पद" शामिल हैं, जो 'भ्रमरगीत' से लिए गए हैं। इन पदों में गोपियों की श्रीकृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और विरह की भावना को दर्शाया गया है।
### 🌸 **भ्रमरगीत का विस्तृत वर्णन**
**1. पृष्ठभूमि:**
जब श्रीकृष्ण मथुरा चले जाते हैं, तो गोपियाँ उनके वियोग में व्याकुल हो जाती हैं। श्रीकृष्ण अपने मित्र उद्धव को गोपियों के पास योग और ज्ञान का संदेश देने भेजते हैं, जिससे वे अपने मोह को त्याग सकें। हालांकि, गोपियाँ इस संदेश से संतुष्ट नहीं होतीं और उद्धव को व्यंग्यपूर्ण उत्तर देती हैं।([rajyogi255.wordpress.com][1])
**2. गोपियों का उद्धव से संवाद:**
* **प्रेम की गहराई:** गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि उनका मन पहले से ही श्रीकृष्ण में एकाग्र है, इसलिए योग का उपदेश उनके लिए व्यर्थ है। वे उद्धव की तुलना कमल के पत्ते और तेल की गागर से करती हैं, जो जल में रहकर भी जल से अप्रभावित रहते हैं, यह दर्शाने के लिए कि उद्धव कृष्ण के सान्निध्य में रहकर भी उनके प्रेम से अछूते हैं।
* **विरह की वेदना:** गोपियाँ अपने मन की व्यथा व्यक्त करती हैं कि श्रीकृष्ण के वियोग में उनका जीवन सूना हो गया है। वे कहती हैं कि उनकी आशाएँ और अभिलाषाएँ मन में ही रह गईं, क्योंकि वे श्रीकृष्ण से अपने प्रेम को व्यक्त नहीं कर पाईं।([rajyogi255.wordpress.com][1], [successcds.net][2])
* **योग का उपहास:** गोपियाँ उद्धव के योग संदेश की तुलना कड़वी ककड़ी से करती हैं, जो उन्हें अप्रिय है। वे कहती हैं कि उन्होंने मन, वचन और कर्म से श्रीकृष्ण को अपने हृदय में बसाया है, इसलिए योग का मार्ग उनके लिए उपयुक्त नहीं है।([successcds.net][2])
* **राजनीति का व्यंग्य:** गोपियाँ व्यंग्यपूर्वक कहती हैं कि श्रीकृष्ण ने राजनीति पढ़ ली है, इसलिए अब वे प्रेम की मर्यादा नहीं निभा रहे हैं। वे उद्धव को याद दिलाती हैं कि राजधर्म में प्रजा के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए, और श्रीकृष्ण को अपने वचन का पालन करना चाहिए।([successcds.net][2])
**3. काव्यगत विशेषताएँ:**
* **भाषा और शैली:** इन पदों में ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है, जो भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए उपयुक्त है।([janshruti.com][3])
* **रस और अलंकार:** वियोग श्रृंगार रस की प्रधानता है, और उपमा, रूपक, व्यंग्य आदि अलंकारों का सुंदर प्रयोग हुआ है।([janshruti.com][3])
* **भावनात्मक गहराई:** गोपियों की भक्ति, प्रेम, विरह और व्यंग्य भावनाओं का मनोवैज्ञानिक चित्रण किया गया है।([gyanok.com][4])
**4. सारांश:**
सूरदास के 'भ्रमरगीत' में गोपियों की श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति और वियोग की वेदना का मार्मिक चित्रण है। गोपियाँ उद्धव के माध्यम से श्रीकृष्ण को संदेश देती हैं कि उनका प्रेम सच्चा और अटूट है, जिसे योग और ज्ञान के उपदेश से नहीं बदला जा सकता।
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