10वीं कक्षा के गणित के पहले अध्याय "संख्या पद्धति" में "परिमेय संख्याएँ" (Rational Numbers) के बारे में जानकारी दी जाती है। परिमेय संख्याएँ वो संख्याएँ होती हैं जिन्हें \( \frac{p}{q} \) के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ \( p \) और \( q \) पूर्णांक होते हैं और \( q \neq 0 \) होता है।
### मुख्य बिंदु:
1. **परिभाषा**: परिमेय संख्याएँ वह संख्याएँ होती हैं जिन्हें दो पूर्णांकों के अनुपात (fraction) के रूप में लिखा जा सकता है। जैसे: \( \frac{2}{3}, \frac{-7}{5}, \frac{4}{1} \) आदि।
2. **गुणधर्म**:
- परिमेय संख्याओं का योग, अंतर, गुणा और भाग भी एक परिमेय संख्या होती है।
- यदि \( q = 1 \) हो तो संख्या पूर्णांक होती है, जैसे: \( \frac{4}{1} = 4 \)।
3. **समानुपात और विषम अनुपात**:
- दो परिमेय संख्याओं को गुणन करके एक नई परिमेय संख्या बनाई जा सकती है।
4. **परिमेय और अपरिमेय संख्याओं का अंतर**:
- परिमेय संख्या वह है जिसे भिन्न (fraction) के रूप में लिखा जा सकता है, जबकि अपरिमेय संख्या ऐसी होती है जिसे भिन्न रूप में नहीं लिखा जा सकता। जैसे: \( \sqrt{2} \), \( \pi \) आदि।
5. **दशमलव रूप**:
- परिमेय संख्याओं का दशमलव रूप या तो समाप्त हो जाता है (terminating) या आवर्ती (repeating) होता है।
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